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Showing posts from May, 2018

जज्बातों के एहसास

जज़्बात तो जज़्बात होते हैं बस उनके सौदे नहीं होते हैं           / भले ही उन पर तगड़ी सील लगानी पड़े लेकिन सरेआम उनको नीलाम नहीं करते           / जज़्बातों से जो चिलमन उठ गया तो समझो वफ़ा पे ऐतबार न रहा           / गर भरोसा है अपने जज़्बातों पर तुमको तो उनके सहारे जिंदगी की खुद ढाल बनो           / यही है सिर्फ़ जज़्बातों से वफ़ा-एह-ले वरना दगा तो हमारे एहसास भी दे देते हैं """""@सदफ@"""""

दुश्मनों की फौज

दुश्मनों का लम्बा हुजूम भी होगा उनके छिपे वारों का वार भी होगा ज़रा सफलता की सीढ़ी चढ़ना तो साहिब दोस्त भी छिपे लिबास में दुश्मन होगा जलना तो लोगों की फ़ितरत में होगा ऊपर से अंगारें बरसाना भी शौक होगा भीड़ से अलग चलने का हुनर हुआ जो साहिब तो परिवार में भी गिरगिटी दुश्मन होगा आरज़ू है अगर तो जुस्तजू का भी जुगनू होगा बस उसी की रोशनी में खुद को चमकाना होगा छूना है जो रंग बिरंगी आसमानी तारों को ए साहिब तो हर मुखौटाधारी दुश्मन को पहचानना होगा गर पहचानकर जो आवाज़ उठाने का हुनर होगा तो समझो शराफ़त का नकाब भी फिसलता होगा गर ख़ुद को आज़माइशो में साबित करना जो हुआ ऐ साहिब तो इन दोगली शख्सियतों का मुँह कुचलना होगा @"""सदफ"""@