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Showing posts from December, 2017

चाहत

सुना है मैंनें कई हमराही लोगों सें  कि प्यार का पहला अक्षर अधूरा है  इश्क का दूसरा अक्षर ही अधूरा है  मोहब्बत का तीसरा अक्षर भी अधूरा है  फिर भी इन तीनों को पाने की हसरतें लिये  इंसां जिंदगी भर राह तकते हैं    मगर जिसे पाने के लिए लोग लड़ते हैं  क्या उन अधूरे अक्षरों में  ख़ुशियों का सबब है  अगर जिनका वजूद ही अधूरा हो  तो क्या वो दूसरों को पूरा कर पायेंगें  जिंदगी भर प्यार को पाने की लालसा रहती है  मगर ये चाहत पूरी नहीं हो पाती है  लोग कहतें हैं कि प्यार बिना जिंदगी अधूरी है  मगर मेरा मानना है कि चाहत बिना जिंदगी अधूरी है  चाहत है तो सब है  बिन चाहत कुछ नहीं  जिंदगी का फलसफा भी  और जिंदगी का हमसहारा भी 

जुनून

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अगर जुनून हो किसी को पाने  का अगर हौंसला हो गलत से लड़ने का तो चुनौतियाँ भी मामूली सी धूल हैं बस जज़्बा हो आकाश में उड़ने का एक दिन पर्वत भी पिघलेगा बर्फ जैसे चट्टान भी टूटेगी मजबूत इरादों जैसे जरूरत है तो पुरज़ोर कोशिश करने की बस तारें भी होंगें आपकी मुट्ठी में सारे               ///सदफ///

जिंदगी की दौड़

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सुबह होती है शाम होती है इन्हीं लम्हों के नाम जिंदगी तमाम होती है सूरज का निकलना चन्दा का निकलना आभास कराता है बस जिंदगी की दौड़ का सूरज संग रोशनी का होना चंदा संग चमक का होना इस धूप छाँव में ही बस जिंदगी के रंगों का होना कभी कभी रंगों से रंगी जिंदगी में कुछ रंग बेरंग से हो जाते हैं लेकिन मायूस न हो आज नहीं तो  कल सदफ सारे बेरंग रंगीन हो जायेंगें           @सदफ@

परिस्तिथियाँ

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आज कुछ हलचल है मन में बहुत ही बैचेनी  है दिल में मगर क्या करूँ इसे मनाने में हालातों  से मजबूर बेबस हूँ मैं समय के गर्त में ऐसी गिरी हूँ मैं परछाइयों के साये से डरी हूँ मैं जिंदगी की घड़ी का कुछ पता नही न जाने कब उल्टी चलने लगे ये इसी गुत्थी को सुल्झाते -सुल्झाते  मैं ताने बाने को जोड़ते -जोड़ते मैं न जाने कहाँ खो गयी हूँ कि अपना वजूद ही पहचानने से डरती हूँ मैं               ///सदफ ///

मन की व्याकुलता

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आज मन में उठे हैं ढेरों विचार सवालों का अंतर्द्वन्द  मन की व्याकुलता  ढूँढ़ना हैं इन सबका हल कहीं खो न जायें चमचमाती दुनिया में  मन की शांति  इन कंटीले राहों पर  हर सम्भव जीने का प्रयत्न करना है          @सदफ@

क़लम काग़ज़ और जज़्बात

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एक क़लम ही तो है      / जिस पर मेरा ज़ोर चलता है      / जब होतें हैं आँखों में आँसू मेरे      / तब काग़ज़ ही रहता साथ मेरे      / इन काग़ज़ों को भिगो देती हूँ      /  रुबाई से      / क़लम भी साथ देती है      / खारे पानी को निकालने में      / भिगो देती हूँ उन सारे काग़ज़ों को      /  जज़्बातों से      / फिर भी काग़ज़ का टुकड़ा कुछ नहीं बोलता     / अगर यही इंसान का दिल होता तो     / सदफ वो सिर्फ जज़्बातों का मज़ाक बनाता     /      @ सदफ@

लेखनी का मकसद

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हुआ जो संजोग आज ब्लॉग बनाने का.... लेकर आया पैगाम कुछ कर गुजरने का... अल्फाजों को बयाँ करने का सोचा जो मैने.. तो मौका मिला जिंदगी का नया पन्ना लिखने का.. कलम को पहचान बनाने का जिम्मा सौंपा जो आपने... उन्ही उम्मीदों पर खरा उतरने का वादा किया खुद से... सौगंध खाती हूँ गर मिला आशीर्वाद आप सब पाठकों से तो जिंदगी जीने का मकसद ही सदफ की लेखनी होगा...               @सदफ @