सफ़र

आज तुमसे जुदा होने का वक्त आ गया है 

इस बात से मन बड़ा ही बोझिल हो रहा है 

शायद हम दोनों का इतना ही साथ लिखा है 

तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते को रवाना है 


हमने तुमको अपनी मेहनत से संवारा हैं 

दिन रात एक करके तुमको पूर्ण बनाया है 

कुछ कंटीली पतवारों ने राह को रोकना तो चाहा है

लेकिन हमारा तुम्हारा सफर बड़ा ही सुहाना रहा है


हमारा तुम्हारा सफर कुछ यूं शुरू हुआ है 

वर्ष 2018 में मैंने तुमको पास किया है 

माह सितंबर दिनांक 24 को तुमसे मिलन हुआ है 

और उसी दिन मेरे जन्म का भी दिवस होता है 






लेकिन तुम्हें खुद से अलग करना मेरी जरूरत 

ये बात मन को कचोट रही है





Comments

Popular posts from this blog

लेखनी का मकसद

कोई अपना नहीं