नानी माँ
नानी माँ आसमां में बन गई है इक तारा।
अब भी है वो हमारी आंखों का सितारा।।
कहाँ ढूंढू, कहाँ से लाऊं वो हसीन तारा।
जो अब नहीं है हमारी ज़मीं का सितारा।।
जब भी देखती हूं आसमां का कोई तारा।
लगे जैसे वो नानी के मुख वाला सितारा।।
बादलों में जब न दिखता वो सांझ का तारा।
तब लगता है कहां है वो अनमोल सितारा।।
जो था अभी यहीं, कहां गुमशुदा है वो तारा।
समझ न आए बादलों में छिपा है वो सितारा।।
ये आंख मिचौली करते हैं बादल और तारा।
डर के साए में उलझाते, खो जाता वो सितारा।।
@सदफ @
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