लेखनी का मकसद

हुआ जो संजोग आज ब्लॉग बनाने का....
लेकर आया पैगाम कुछ कर गुजरने का...
अल्फाजों को बयाँ करने का सोचा जो मैने..
तो मौका मिला जिंदगी का नया पन्ना लिखने का..


कलम को पहचान बनाने का जिम्मा सौंपा जो आपने...
उन्ही उम्मीदों पर खरा उतरने का वादा किया खुद से...
सौगंध खाती हूँ गर मिला आशीर्वाद आप सब पाठकों से
तो जिंदगी जीने का मकसद ही सदफ की लेखनी होगा...
              @सदफ @

Comments

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-06-2020) को     "शब्द-सृजन 24- मसी / क़लम "  (चर्चा अंक-3725)     पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. वाह !बहुत ही सुंदर सृजन.

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