चाहत

सुना है मैंनें कई हमराही लोगों सें 
कि प्यार का पहला अक्षर अधूरा है 
इश्क का दूसरा अक्षर ही अधूरा है 
मोहब्बत का तीसरा अक्षर भी अधूरा है 
फिर भी इन तीनों को पाने की हसरतें लिये 
इंसां जिंदगी भर राह तकते हैं 
 
मगर जिसे पाने के लिए लोग लड़ते हैं 
क्या उन अधूरे अक्षरों में 
ख़ुशियों का सबब है 
अगर जिनका वजूद ही अधूरा हो 
तो क्या वो दूसरों को पूरा कर पायेंगें 

जिंदगी भर प्यार को पाने की लालसा रहती है 
मगर ये चाहत पूरी नहीं हो पाती है 
लोग कहतें हैं कि प्यार बिना जिंदगी अधूरी है 
मगर मेरा मानना है कि चाहत बिना जिंदगी अधूरी है 

चाहत है तो सब है 
बिन चाहत कुछ नहीं 
जिंदगी का फलसफा भी 
और जिंदगी का हमसहारा भी 

Comments

Popular posts from this blog

सफ़र

नानी माँ

लेखनी का मकसद