अधूरी मोहब्बत
क्या सुनायें अपनी अधूरी मोहब्बत का किस्सा
ज़र्रा ज़र्रा पिघलता ये बेइंतहा चाहत का रिश्ता
ज़माने की बेबसी का आलम है ऐसा खौफ़नाक
कि दोनों एक रूहानी रूह का बन गये हैं हिस्सा
एक दूजे को पाने की चाहत तो है दोनों के ही दरमियाँ
मगर ज़माने से लड़ती मोहब्बत सुलगाती है चिंगारियाँ
और दिल के टूटे गुबार को निकालने का हश्र होता है ये
कि दोनों चाहते हुए भी नहीं बढ़ा सकते हैं नजदीकियाँ
@सदफ @
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