कानपुर के नाम

कानपुर की वो यादें,आज शिद्द्त से याद आती हैं
न जाने वो हसीं शोखियाँ, कम्बख्त कहाँ खो गयी हैं
कोई तो लौटा दो, उन हसीं पलों के झरोखों को.....
                      सच में...वो यादें बहुत याद आती हैं

उन मुस्मुसाती यादों से, मुझे दिल्लगी करनी है
एक नज़र ही सही,बस मुझे मुलाक़ात करनी है
वो शबनमी एहसास, मेरी रूह को करने तो दो
             सच में... वो यादें बहुत याद आती हैं

वो बातों की अठखेली का, मंजर याद आता है
नश्तर चुभोने का वो प्यार भरा दर्द याद आता है
उन खुशनुमा पलों की, परछाई को छूने तो दो
             सच में... वो यादें बहुत याद आती हैं

वो चालाक कौवी कहना , आज बहुत याद आता है
वो मोटो जी का झापड़ मारना,  भी याद आता है
अपने दोनों अनमोल रत्नों से एक बार मिलने तो दो
                 सच में... वो यादें बहुत याद आती हैं
                       @सदफ@

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