अस्तित्व की पहचान

जिंदगी के लिये हर पल लड़ना होता है
अस्तित्व बोध के लिए झगड़ना होता है
जितना पाया उस पर नाज़ तो होता है लेकिन
हरदम ऊँचाइयों के लिए चढ़ना होता है

खुद को मंजिल की बैसाखी बनाना होता है
अपनी पहचान का जुगनू जलाना होता है
भले ही लोगों को सूरत से पहचानना होता है लेकिन
मुझे अपने काम से नाम कमाना  होता है

तमन्नाओं की श्रंखला में हीरा जोड़ना होता है
मेहनत के मोतियों को गाँठी में पिरोना होता है
कहीं सपने टूट न जायें कच्चे धागों की तरह
बस यही डर दिमाग से हटाना होता है

कशमकश में उलझी जिंदगी को बुनना होता है
परत दर परत खुलती जिंदगी को संवारना होता है
ऐ सदफ इसी उधेड़बुन के ताने बाने को बुनते बुनते
अपने अस्तित्व की तलाश को खोजना होता है
::::सदफ:::::

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