आज तुमसे जुदा होने का वक्त आ गया है इस बात से मन बड़ा ही बोझिल हो रहा है शायद हम दोनों का इतना ही साथ लिखा है तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते को रवाना है हमने तुमको अपनी मेहनत से संवारा हैं दिन रात एक करके तुमको पूर्ण बनाया है कुछ कंटीली पतवारों ने राह को रोकना तो चाहा है लेकिन हमारा तुम्हारा सफर बड़ा ही सुहाना रहा है हमारा तुम्हारा सफर कुछ यूं शुरू हुआ है वर्ष 2018 में मैंने तुमको पास किया है माह सितंबर दिनांक 24 को तुमसे मिलन हुआ है और उसी दिन मेरे जन्म का भी दिवस होता है लेकिन तुम्हें खुद से अलग करना मेरी जरूरत ये बात मन को कचोट रही है
नानी माँ आसमां में बन गई है इक तारा। अब भी है वो हमारी आंखों का सितारा।। कहाँ ढूंढू, कहाँ से लाऊं वो हसीन तारा। जो अब नहीं है हमारी ज़मीं का सितारा।। जब भी देखती हूं आसमां का कोई तारा। लगे जैसे वो नानी के मुख वाला सितारा।। बादलों में जब न दिखता वो सांझ का तारा। तब लगता है कहां है वो अनमोल सितारा।। जो था अभी यहीं, कहां गुमशुदा है वो तारा। समझ न आए बादलों में छिपा है वो सितारा।। ये आंख मिचौली करते हैं बादल और तारा। डर के साए में उलझाते, खो जाता वो सितारा।। @सदफ @
हुआ जो संजोग आज ब्लॉग बनाने का.... लेकर आया पैगाम कुछ कर गुजरने का... अल्फाजों को बयाँ करने का सोचा जो मैने.. तो मौका मिला जिंदगी का नया पन्ना लिखने का.. कलम को पहचान बनाने का जिम्मा सौंपा जो आपने... उन्ही उम्मीदों पर खरा उतरने का वादा किया खुद से... सौगंध खाती हूँ गर मिला आशीर्वाद आप सब पाठकों से तो जिंदगी जीने का मकसद ही सदफ की लेखनी होगा... @सदफ @
Comments
Post a Comment