वो गुज़रा हुआ हर लम्हा शिद्दत से याद आता है

आज वो पहली मुलाकात का किस्सा याद आता है
स्कूल में अभिवादन करने का मंजर नज़र  आता है
हिंदी की अलख जलाने की आपकी ज़िद का 
वो गुज़रा हुआ  हर लम्हा शिद्दत से  याद आता है

आप जैसी हिंदी की टीचर का बोलना याद आता है
आपके सवालों का उत्तर न देने का मलाल होता है
लेकिन आपके हिंदी में समझाने के उन अभिकथनों का 
वो गुज़रा हुआ हर लम्हा शिद्दत से याद आता है

मेरी ज़िंदगी के रंजोगम में आपका दखल देना याद आता है
मां के किरदार को निभाकर आपका समझाना याद आता है
आपके अपनेपन के एहसासों की सरगोशी का
वो गुज़रा हुआ हर लम्हा शिद्दत से याद आता है

आपका वो गले लगाकर हक जताना याद आता है
ज़िंदगी की उलझनों के दलदल से निकलना याद आता है
लोगों की भीड़ के हमदर्दों में आपकी हमदर्दी का
वो गुज़रा हुआ हर लम्हा शिद्दत से याद आता है

हिंदी की दुनिया में मुझे भेजने का वो सपना याद आता है
मेरे किरदार को बदलने का सारा श्रेय आपको जाता है
कांटो की डगर पर आपकी उंगली पकड़ कर चलने का
वो गुज़रा हुआ हर लम्हा शिद्दत से याद आता है 

ज़िंदगी के मुकाम को पाने में आपका सहयोग याद आता है
आपकी हर बात में सच्चाई का आइना नजर आता है
ए सदफ आज ज़िंदगी बदलने के सफर का
वो गुज़रा हुआ हर लम्हा शिद्दत से याद आता है 

(प्रिय सारिका मैम को समर्पित)
सदफ 

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